GAZAL-----3.7.2018
सूफी गजल---
फासले ऐसे रहेंगे, ये
कभी सोचा न था
बाद तेरे हम जियेंगे, ये कभी सोचा न था…..
हम तरसते हैं तेरे दीदार
को, आ जा सनम,
दीदा-ए-तर यूं बहेंगे,
ये कभी सोचा न था…
दिन में अंधेरे से छाएं देख ले, तेरे बगैर
ढूंढते तुझको फिरेंगे, ये कभी सोचा न था….
तुझको आना ही पडेगा और कबतक इन्तजार?
हम तपिश में यूं जलेंगे, ये कभी सोचा न था….
अब तो रौशन कर , खुदा
या, दिल का घर तेरा है जो
यूं चिरागे-दिल बुझेंगे,
ये कभी सोचा न था…..
-----संगीता
जोशी
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