5.
हम से क्या हो सका सिर्फ रोते रहे
जो नहीं पा सके वो भी खोते रहे...
नातचॉं जिंदगी दब चली फिर भी हम
कोहे-गम शानों पर अपने ढोते रहे...
चल रही थी सबा कुछ इशारे किए
जानकर बूझकर हम हि सोते रहे...
फस्ल काटेंगे क्या ख्वाब के खेत में
रेत में बीज हर बार बोते रहे...
दागे-दिल मिटने की कोइ उम्मिद न थी
दरिया-ए-अश्क में दिल भिगोते रहे...
नज्म क्या , गीत क्या, क्या गजल क्या
पता
दर्द लफ्जों में चुनकर पिरोते रहे...
------संगीता जोशी
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